Welcome to All India Film Producer Technician and Artist Union

"आँल इंडिया फिल्म प्रोड्युसर टेक्निशियन अँण्ड आर्टीस्ट युनियन" यह एक एैसी युनियन है जहा पर प्रोड्युसर, टेक्निशियन और आर्टिस्ट इनके बीच एक सामंजस्यता, समझदारी, सहयोगिता और अच्छा बरताव पाने का मकसद, आश्वासन रखा गया है.

हम सुरक्षा, सुरक्षितता, सुनिवास, वेतन, पेंशन, स्वास्थ्य योजना और अपने सदस्यों के अधिकारों पर मानक निर्धारित करते है |

अपने सदस्यों की देखभाल करते है। इसमें यह सुनिश्चित करते है कि अनुबंध निष्पक्ष हैं, कि उन्हें उचित वेतन दिया जा रहा है, कि उनके साथ अच्छा व्यवहार किया जा रहा है, और यह कि वे सही समय पर काम कर रहे हैं।यही एक दुवा होता है.


प्रोड्यूसर


फ़िल्म में प्रोड्यूसर का अहम रोल होता है, क्योंकि एक प्रोड्यूसर (Producer) ही होता है, जो अपनी फिल्म से संबंधित सारे अहम फैसले करता है, लेकिन एक फ़िल्म को तैयार करने के लिए करोड़ों रूपये की राशी प्रोड्यूसर अपनी योजना के तहत, इसके लिए वह अलग अलग चरणों में पैसा जुटाने का काम करता है | इसके साथ ही एक प्रोड्यूसर ही तय करता है कि, वो कॉमेडी, ड्रामा, सस्पेंस, थ्रिलर, एक्शन या रोमांटिक जैशी फ़िल्म बनाना चाहता है, क्योंकि प्रोड्यूसर ही फ़िल्म के लिए एक लेखक के जरीये ,अच्छी कहानी तैयार करता है जो फ़िल्म को आगे तक ले जाए |

फ़िल्म प्रोड्यूसर हि फिल्म मेकर डायरेक्टर, डायलॉग राइटर, म्यूज़िक डायरेक्टर, सिनेमेटोग्राफर, एडिटर,कलाकार और बाकी टेकनीशियन्स की टीम चुनने का काम करता है |

फ़िल्म प्रोड्यूसर ही होता है, जो फिल्म की शुरुआत में कलाकारों और टेक्निशियनों को कुल मेहनताने का हिस्सा साइनिंग अमाउंट (अनुबंध की रकम) के तौर पर प्रदान करता है, और शेष सारा पैसा फिल्म निर्माण के अलग अलग चरणों में किश्तों में दिया जाता है |

प्रोड्यूसर लाखों रूपये एकत्रित करके शूटिंग के लिए स्टूडियो या आऊटडोअर जगह बुक कराता है, और फिल्म पुरी तयार करता है |

सारे प्रबंध हो जाने के बाद शूटिंग की शुरुआत कर देता है|

फ़िल्म में कुछ प्रसंग बनकर तैयार हो जाने के बाद प्रोड्यूसर फिल्म को दिखाने के लिए वितरक , डिस्ट्रीब्यूटर्स या फायनेंसर को आमंत्रित करता है ।

यदि इन लोगो को फ़िल्म पसंद आ जाती है, तो वह उसी समय फिल्म प्रदर्शन के अधिकार का सौदा पक्का करते है ये हुए सौदे के लिए कुछ राशि जमा कर देते हैं। इसके बाद जैसे जैसे फिल्म तैयार होती चली जाती है, तो इसके बाद ये लोग सौदे की शेष राशि भी पेय कर देते हैं और फिर इन्ही पैसो से शूटिंग चलती रहती है |

इसके बाद में प्रोड्यूसर शेष क्षेत्रों के डिस्ट्रीब्यूटर्स को बुलाकर फिल्म दिखाता है। यदि उन्हें भी फिल्म पसंद आ जाती है वहां से भी मिलने शुरू हो जाती है |

प्रोड्यूसर अपनी पूरी फ़िल्म को डिस्ट्रीब्यूटर या फाइनेंसर से मिले पैसों से तैयार करता है। इसके बाद जो फिल्म के बनने में खर्च आता है और जो उसे बेचने से पैसे प्राप्त होते है तो उनके बीच के अंतर से ही प्रोड्यूसर अपनी कमाई कर लेता है


टेक्निशियन


लाइटमैन से दिन में 12 घंटे से ज्यादा काम कराया जा रहा है। प्रोडक्शन टीम के सदस्यों से और जादा समय बढाकर शूटिंग खत्म करना चाहते है।

पर समय से ज्यादा काम करने की , बेहतर मजदूरी मिले, समय पर भुगतान, शोषण ना हो और अधिक उचित काम हो और बडे हुऐ समय का मेहतांना मिले।

टेक्निशियन और स्पॉट बॉय किसी भी फिल्म या टीवी सेट पर लगभग 60% कार्यबल बनाते हैं। यह देखते हुए कि भारत दुनिया में फिल्मों और दैनिक धारावाहिकों के सबसे बड़े उत्पादकों में से एक है, यह एक विशाल श्रम शक्ति है। लेकिन ये लोग किसी भी श्रम कानूनों से सुरक्षित नहीं हैं और असंगठित क्षेत्र में बने हुए हैं। टेक्निशियन को एक बार में 12 घंटे से अधिक काम नहीं करना चाहिए। कुछ टेक्निशियनों के लिए, जैसे लाइटमन, प्रत्येक शूट से पहले और बाद में रोशनी को स्थापित करने और नष्ट करने के लिए अतिरिक्त समय की आवश्यकता होती है लेकिन कुछ निर्माता लगातार 18 घंटे काम करने के लिए जबरन कहते हैं

हलके आदमी भी अक्सर उन उपकरणों के साथ काम करते हैं जो जमीन से कई फीट ऊपर रनवे पर लगे होते हैं, जिससे उन्हें बहुत जोखिम होता है। “सेट पर दुर्घटनाओं के कारण कई श्रमिकों की मृत्यु हो गई है, लेकिन उन्हें अभी भी हेलमेट, सुरक्षा बेल्ट या दवाई ,(FIRST AID BOX ) सुरक्षा, आश्रय नहीं दिया जाता है। निर्माता टेक्निशियनों के स्वास्थ्य और शारीरिक सुरक्षा के लिए कोई प्रावधान नहीं करते हैं, और श्रमिकों में बीमारी का स्तर बहुत अधिक है। अधिकांश टेक्निशियन बहुत जल्दी समय पर आते हैं और शहर के बाहरी इलाके से आते है उनके लिए उसी शुटींग की जगह से आसपास रहने का इंतजाम होना जरुरी है


कार्ड कि जरुरत क्या है


एक पहचान पत्र हि है जिससे पता चलता है की आप एक कलाकार हैं जिस तरह से स्कुल, काँलेज,दप्तरो के लोगो के पास उनका एक पहचान पत्र होता है ठीक उसी तरह से एक कार्ड होता है वो ये बताता है की आप टेक्नीशियन या कलाकार हैं अपने भारत देश के किसी भी हिस्से ( राज्य ) में सभी प्रादेशिक भाषा में शुटींग के लिए जाते है तो उसके पास युनियन कार्ड होना ज़रूरी है॥

युनियन कार्ड इशू करने वाली संस्था भारत सरकार या राज्य सरकार के श्रमिक संघ अधिनियम 1926 (INDIAN TRADE UNION ACT 1926) के अंतर्गत संचालित होती हैं.

युनियन कार्ड बनवाने के फायदे सबसे पहला फायदा तो यही है की ये कार्ड एक कलाकार या टेक्नीशयन का पहचान पत्र है जो ये बताता है की आप एक कलाकार, टेक्नीशयन हो! शुटींग करते समय किसी दुर्घटना का शिकार हो जाते हैंया किसीका देहांत हो जाते है या विकलांग हो जाता हैं तो ऐसी परिस्थिती में कलाकार को या टेक्नीशियन के परिवार को प्रोडक्शन हाउस से मुआवज़ा दिलाने में मदद करती है.*

जब कलाकार या टेक्नीशियन किसी फिल्म, टिव्हि सिरियल या विज्ञापन में काम करता है तो उचित मेहनताना मिलना जरुरी है शुटींग करने के 30 से 90 दिन में मेहनतना मिल जाना चाहिए कभी कभी कोई प्रोड्युसर मेहनताना देने में आना कानी करता है या पैसे कम देता है *तो यह युनियन के पास आकर उस प्रोड्युसर के खिलाप आप शिकायत कर सकते है.

युनियन द्वारा आयोजित PROGRAM WORKSHOP, FESTIVALS, ENTERTAINMENT SHOWS, AWARD CEREMONIES, AWARD SHOWS, ETC में जाने का सुनहरा मौका मिलता है | जहा जाकर बहुत कुछ सिखने को मिलता है

और याद रखिये की जो भी युनियन सरकार द्वारा संचालित श्रमिक संघ अधिनियम 1926 (INDIAN TRADE UNION ACT 1926 ) के अंतर्गत माण्यताप्राप्त न हो उससे आर्टिस्ट या टेक्नीशियन कार्ड कभी भी न बनवाये।

ऐसी सूचना अक्सर मिलती रहती है की बहुत सी गैर-कानूनी संस्थाए सभी प्रकारके कार्ड बनाने के नाम पर कलाकारों के साथ धोखा धड़ी लूट खसोट करती रहती हैं। ऐसे युनियन से सावधान रहे।